कविता के अक्षरों में व्याकुल मन की पीड़ा है उनके लिए तो कवि-कर्म शब्द-क्रीडा है शोषित बन जीते हैं नित्य गरल पीते हैं युग की विभीषिका के नाम हुए हम यूं ही बदनाम हुए हम।।
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कविता के अक्षरों में व्याकुल मन की पीड़ा है उनके लिए तो कवि-कर्म शब्द-क्रीडा है शोषित बन जीते हैं नित्य गरल पीते हैं युग की विभीषिका के नाम हुए हम यूं ही बदनाम हुए हम!!