संबंधित आलेख-सरपत के बहाने शब्द-संधान अ भय तिवारी अपने दोस्त हैं।
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इसी को टी. एस. इलियट ने यों कहा है कि कवि के भीतर एक रचना-भ्रूण पल रहा होता है जिसके लिए उसे शब्द-संधान करना होता है।
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आप तीनों के शब्द-संधान से विभोर होकर संस्कृत के एक श्लोक का शुमार हो आया ……………….. काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम! व्यसनेन च मूर्खानाम निद्रया कलहेन वा!! …. सच कहिये तो विद्वानों और चिंतकों का समय ऐसे ही बीतता है | आनंद आ गया ………..