उन्होंने लिखा....पद्य की गतिमयता से मुक्त ओर उसकी रसमयता से युक्त शब्दीकरण गद्यकाव्य है।
4.
उन्होंने लिखा.... पद्य की गतिमयता से मुक्त ओर उसकी रसमयता से युक्त शब्दीकरण गद्यकाव्य है।
5.
मै चुपचाप सुनता रहा लेकिन मेरा मन कुछ और ही धुनता रहा अब मेरे अन्दर के कलाकार की बारी थी मेरी उधेड़ बुन अभी भी जारी थी एक नया पक्ष उभरने लगा “कविता भावनाओं का शब्दीकरण है भाषा का कोई बंधन नही क्यों की भावनाओ का अपना अलग व्याकरण है मन के चित्र शब्दों में उतरते जाते हैं हम तो भावनाओं में बहते हैं और कविता लिखते जाते हैं”