उन्होंने कहा कि शीतभंडार गृह को बुनियादी ढाँचा का दर्जा दिया जाएगा।
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फॉक्स ने कहा कि भारत के फल और सब्जियों के उत्पादन का करीब 40 प्रतिशत भाग शीतभंडार गृहों की कमी के कारण खेत और उपभोक्ताओं के बीच बेकार चला जाता है।
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इसके चलते ग्रामीण इलाकों में प्रायः बिजली की कटौती होती है, जिसके परिणाम स्वरूप वहां शीतभंडार गृहों (कोल्डस्टोरेज) का परिचालन और रख-रखाव बहुत मुश्किल और खर्चीला हो जाता है।