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शुद्धाद्वैतवाद वाक्य

उच्चारण: [ shudedhaadevaitevaad ]
उदाहरण वाक्यमोबाइल
  • शुद्धाद्वैतवाद के अनुसार ब्रह्म माया से अलिप्त है, इसलिये शुद्ध है।
  • शुद्धाद्वैतवाद के अनुसार ब्रह्म माया से अलिप्त है, इसलिये शुद्ध है।
  • अत: उनका सिद्धांत शुद्धाद्वैतवाद के रूप में प्रचलित हुआ है।
  • शुद्धाद्वैतवाद के अनुसार जगत् ब्रह्म और जीव के समान नित्य है।
  • बल्लभाचार्य द्वारा प्रतिपादित शुद्धाद्वैतवाद दर्शन के भक्तिमार्ग को ‘पुष्टिमार्ग ' कहते हैं।
  • जैसा कि हम बता आए हैं कि इन्होंने शुद्धाद्वैतवाद की स्थापना की ।
  • पुष्टिमार्ग सम्पादन पुष्टि मार्ग बल्लभाचार्य द्वारा प्रतिपादित शुद्धाद्वैतवाद दर्शन के भक्तिमार्ग को ‘पुष्टिमार्ग ' कहते हैं।
  • इसके साथ-साथ इन रचनाओं में द्वैतवाद, अद्वैतवाद, विशिष्टाद्वैतवाद और शुद्धाद्वैतवाद जैसी दार्शनिक चिंतना की खोज करना भी अप्रासंगिक होगा।
  • ४१, श्री रामचरणदासमहात्मा बालकराम विनायक लिखते हैं, "इस कलि काल में श्री स्वामीरामानन्दजी महाराज शुद्धाद्वैतवाद के प्रखर और प्रबल आचार्य हुए.
  • शुद्धाद्वैतवाद …. विशिष्टा द्वैतवाद …. निर्गुण ब्रह्म ज्ञान के साथ सगुण साकार की भक्ति की धाराएँ एक साथ हिलोरें लेने लगीं।
  • गीताकी टीकाओंको भी देखें तो उनमें अद्वैतवाद, द्वैतवाद, विशिष्ठाद्वैतवाद, द्वैताद्वैतवाद, शुद्धाद्वैतवाद, अचिन्त्यभेदाभेदवाद आदि अनेक मतोंको लेकर टीकाएँ की गयी हैं ।
  • रसखान ने कृष्ण भक्ति दर्शन में वल्लभाचार्य जी का शुद्धाद्वैतवाद, निंबार्क का द्वैताद्वैतवाद, मध्वाचार्य का द्वैतवाद अथवा चैतन्य महाप्रभु के अचिंत्य भेदाभेद किसी का भी अनुसरण नहीं किया।
  • अब आचार्य शंकर ऐसे महासागर बन गए, जिसमें अद्वैतवाद, शुद्धाद्वैतवाद, विशिष्टा द्वैतवाद, निर्गुण ब्रह्म ज्ञान के साथ सगुण साकार की भक्ति की धाराएँ एक साथ हिलोरें लेने लगीं।
  • वल्लभाचार्य के शुद्धाद्वैतवाद को स्पष्ट रूप से समझने के लिए यह भी आवश्यक है कि वेदान्त के अन्य सम्प्रदायों और विशेष रूप से शंकर के सिद्धांतों के परिप्रेक्ष्य में उसकी सरसरी समीक्षा कर ली जाये।
  • श्रीशंकराचार्य के अद्वैतवाद केवलाद्वैत के विपरीत श्रीवल्लभाचार्य के अद्वैतवाद में माया का संबंध अस्वीकार करते हुए ब्रह्म को कारण और जीव-जगत को उसके कार्य रूप में वर्णित कर तीनों शुद्ध तत्वों का ऐक्य प्रतिपादित किए जाने के कारण ही उक्त मत शुद्धाद्वैतवाद
  • श्रीशंकराचार्यके अद्वैतवाद केवलाद्वैतके विपरीत श्रीवल्लभाचार्यके अद्वैतवाद में माया का संबंध अस्वीकार करते हुए ब्रह्म को कारण और जीव-जगत को उसके कार्य रूप में वर्णित कर तीनों शुद्ध तत्वों का ऐक्य प्रतिपादित किए जाने के कारण ही उक्त मत शुद्धाद्वैतवाद कहलाया मूल प्रवर्तकाचार्यश्री विष्णुस्वामीजीहैं।
  • श्रीशंकराचार्यके अद्वैतवाद केवलाद्वैतके विपरीत श्रीवल्लभाचार्यके अद्वैतवाद में माया का संबंध अस्वीकार करते हुए ब्रह्म को कारण और जीव-जगत को उसके कार्य रूप में वर्णित कर तीनों शुद्ध तत्वों का ऐक्य प्रतिपादित किए जाने के कारण ही उक्त मत शुद्धाद्वैतवाद कहलाया [जिसके मूल प्रवर्तकाचार्यश्री विष्णुस्वामीजीहैं]।
  • श्रीशंकराचार्य के अद्वैतवाद केवलाद्वैत के विपरीत श्रीवल्लभाचार्य के अद्वैतवाद में माया का संबन्ध अस्वीकार करते हुए ब्रह्म को कारण और जीव-जगत को उसके कार्य रूप में वर्णित कर तीनों शुद्ध तत्वों का ऐक्य प्रतिपादित किए जाने के कारण ही उक्त मत ‘ शुद्धाद्वैतवाद ' कहलाया (जिसके मूल प्रवर्तकाचार्य श्री विष्णुस्वामीजी है) ।

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