| 1. | परन्तु यह शुद्धिवाद कई बार एकांगी बन जाता है ।
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| 2. | यह शुद्धिवाद शायद नहीं, बस जिम्मेवारी का तकाजा है।
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| 3. | परन्तु यह शुद्धिवाद कई बार एकांगी बन जाता है ।
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| 4. | डॉ० नगेन्द्र लिखते हैं-“वासना का सागर ऐसे प्रबल वेग से उमड़ रहा था कि शुद्धिवाद सम्राट के सभी निषेध प्रयत्न उसमें बह गये।
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| 5. | डॉ ० नगेन्द्र लिखते हैं-” वासना का सागर ऐसे प्रबल वेग से उमड़ रहा था कि शुद्धिवाद सम्राट के सभी निषेध प्रयत्न उसमें बह गये।
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