श्याव विवर की खोज व अध्यन हाल के वर्षों मे शोध का बेहद सक्रिय क्षेत्र हो गया है।
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श्याव विवर की खोज व अध्यन हाल के वर्षों मे शोध का बेहद सक्रिय क्षेत्र हो गया है।
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रसेन्द्र-यह स्वभाव से ही निर्दोष, श्याव (काला-पीला), रूखा, और अत्यंत निर्मल होता है।
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टेरी श्याव के मामले में विषद जानकारीपूर्ण और गंभीर लेख रमण कौल जी की कलम से उनके चिट्ठे पर लिखा गया।
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जो श्याव तीन स्थानो से घायलावस्था मे पड़े थे, उन्हेजीवन दान देने हेतु आप दोनों के द्वारा उत्तम ढंग से परिचर्या की गई ।
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अश्विनी कुमारों ने श्याव ऋषि के कुष्ठ को भी चिकित्सा कर के दूर किया तथा उनकी त्वचा को सुन्दर बनाया, ऐसे थे परम दयालु रोगियों के हितैषी देववैध अश्विनी कुमार।