यह रत्यात्मकता / श्रंगारिकता (इरोटिका) से अलग चीज है।
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यह रत्यात्मकता / श्रंगारिकता (इरोटिका) से अलग चीज है।
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रीति कालीन साहित्य में नायिका भेद तथा श्रंगारिकता को इस श्रेणी में सहज ही रखा जा सकता है।
4.
वात्सल्य प्रेम का उद्धाटन तब तो समझ में आता कि वात्सल्य की सामाजिक इच्छा को बल मिलता पर यहां पूरी की पूरी श्रंगारिकता बंजर है।
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श्री ओमप्रकाश अवस्थी ने इस तथ्य को इस तरह रेखांकित किया है-‘‘ उनके गीतों में श्रंगारिकता प्रकृति का आँचल थामकर इस प्रकार चली कि उसका रूढ़ और पारंपरिक रूप प्रकृति जीवन की मानवीकृत अंतरंगता में छिप गया।