भिन्न-भिन्न यांत्रिक प्रयोगों के द्वारा उच्चारणात्मक स्वनविज्ञान (articulatory phonetics), भौतिक स्वनविज्ञान (acoustic phonetics) और श्रवणात्मक स्वनविज्ञान (auditory phonetics) का अध्ययन किया जाता है।
2.
तुलसीदास जी ने इन दोनों भेदों को स्वीकार करते हुए उन्होनें ' श्रवणात्मक ' शब्द का एक और भेद भी स्पष्ट किया है ।
3.
आन्तरिक धुनात्मक शब्द को बाहरी ध्वनियों से परे और भिन्न बतलाने के लिए तुलसीदास जी ने इस ' श्रवणात्मक ” शब्द का अलग भेद बतलाया है ।
4.
' श्रवणात्मक ' नामक शब्द से उनका तात्पर्य बाहर की उन ध्वनियों से है जो किसी प्रकार के टंकार, गर्जन या बाहरी बाजे-गाजे से उत्पन्न होती है ।
5.
ब्रेंटरी सांकेतिक भाषाओं को एकाक्षरी और बहुरूपग्रामीय विशेषताओं सहित एक समूह के रूप में (श्रवणात्मक के बजाय दृश्यात्मक) संप्रेषण के माध्यम द्वारा संपूर्ण समूह के रूप में वर्गीकृत करते हैं.