हिन्दू धर्म ग्रंथो के मुताबिक जब देव नदी गंगा बैकुंठ लोक से धराधाम को पवित्र करने के लिए भगवान के चरण नख से निकल कर चलने को उद्यत हुई तो देवताओं ने भगवान से प्रार्थना किया क़ि हे प्रभो! जाह्नवी के चले जाने से एक विचित्र श्रीहीनता बैकुंठ लोक में उत्पन्न हो गयी है.