इसकी थैली के अंदर जो बलगम (श्लेम)उत्पन्न होता है वह बड़ी आँत में पहुँच कर शरीर से निवृत होता है।
4.
त्वचा या म्युकोसा (श्लेम स्राव झिल्ली) का सामान्य संक्रमण चेहरे और मुख (ओरोफेसियल परिसर्प), जनेन्द्रिय (जननांगी परिसर्प), या हाथों (परिसर्प बिसहरी) को प्रभावित कर सकता है.
5.
त्वचा या म्युकोसा (श्लेम स्राव झिल्ली) का सामान्य संक्रमण चेहरे और मुख (ओरोफेसियल परिसर्प), जनेन्द्रिय (जननांगी परिसर्प), या हाथों (परिसर्प बिसहरी) को प्रभावित कर सकता है.
6.
यहाँ श्लेम की नाल और प्रदेश के बीच केवल अंत: कला का झीना अंतरपट होता है और नेत्रोद इसी पथ से नेत्र शिरा में जा गिरता है।
7.
श्लेम कलाओं (म्युकस मेम्बब्रेंस), विशेष रूप से आंखों और नाक की श्लैमिक झिल्लियों से पानी का निकलना तथा आंखों से जलनयुक्त आंसू का निकलना आदि लक्षणों को यूफ्रेशिया औषधि दूर करता है।
8.
तस्मानियाई डैविल बच्चों को विभिन्न नामों से बुलाया जाता है, “पप्स”[34], “जोइस”[86] या “इम्प्स”.[87] जब युवा जन्म लेते हैं, गलाकाट प्रतिस्पर्धा के रूप में वे योनि से श्लेम के एक चिपचिपे प्रवाह में थैली की ओर चलते हैं.
9.
तस्मानियाई डैविल बच्चों को विभिन्न नामों से बुलाया जाता है, “पप्स”, “जोइस” या “इम्प्स”. जब युवा जन्म लेते हैं, गलाकाट प्रतिस्पर्धा के रूप में वे योनि से श्लेम के एक चिपचिपे प्रवाह में थैली की ओर चलते हैं.
10.
तस्मानियाई डैविल बच्चों को विभिन्न नामों से बुलाया जाता है, “पप्स”[34], “जोइस”[86] या “इम्प्स”.[87] जब युवा जन्म लेते हैं, गलाकाट प्रतिस्पर्धा के रूप में वे योनि से श्लेम के एक चिपचिपे प्रवाह में थैली की ओर चलते हैं.