स्तम्भक, वेदना स्थापक, धातुवर्द्धक, बालों की वृद्धि, श्वासनलिका तथा अन्य अंगों की सूजन……. ….
3.
इसके बाद यह क्रिया कई बार करनी चाहिए ताकि श्वासनलिका की ऐंठन ठीक हो सके।
4.
सामान्य ज़ुकाम मुख्य रूप से नासिका, फेरिंजाइटिस, श्वासनलिका को और साइनोसाइटिस, साइनस को प्रभावित करता है।
5.
वक्ष में महाधमनी से निम्नलिखित शाखाएँ निकलती हैं: ग्रसिका (oesophageal), श्वासनलिका तथा हृदयावरणी (pericardial) शाखाएँ, जो इन अंगों में चली जाती हैं।
6.
पुरानी श्वासनलिका के सूजन होने के साथ ही पीले रंग का बलगम निकलना तथा इसके साथ अधिक परेशानी होना और खांसी भी हो जाती है।
7.
5-2-4-2 की लय में (5 उच्छा्वसन और 4 अंत:श्वसन होता हैं) धीमी गति से लयबद्ध श्वसन से प्राण का प्रवाह श्वासनलिका और सिर में होता है.
8.
ब्रोन्किइक्टेसिस (श्वासनलिका का विस्फार) एक रोग की अवस्था है जिसे ब्रोन्कियल पेड़ के एक भाग के स्थानीयकृत, अपरिवर्तनीय फैलाव के रूप में परिभाषित किया गया है.
9.
5-2-4-2 की लय में (5 उच्छा्वसन और 4 अंत:श्वसन होता हैं) धीमी गति से लयबद्ध श्वसन से प्राण का प्रवाह श्वासनलिका और सिर में होता है.
10.
5-2-4-2 की लय में (5 उच्छा्वसन और 4 अंत: श्वसन होता हैं) धीमी गति से लयबद्ध श्वसन से प्राण का प्रवाह श्वासनलिका और सिर में होता है.