इनमें से कई चर्चित विषयों पर कुछ न्यायालयों में मुकद्दमे चल रहे हैं तथा कुछ में संकटजनक अथवा जोखिम भरी जानकारी पाई जा सकती है (देखें:
4.
इस प्रकार संत तो अपनी आत्मा को शांत रखता हुआ दैवी इच्छा की पूर्ति की प्रतीक्षा करता है, लेकिन कर्तव्यविमुख मनुष्य अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिये सहस्त्रों संकटजनक परियोजाओं में अपने को डाल देता है।