परंतु ६८००० की आबादी और अपनी संकरीय गलियों में ४५००० वाहनों को समेटने वाले शहर ने भीड़-भाड़ के एक स्त्रोत से छुटकारा पा लिया है ।
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जिन्होंने इस वर्ण संकरीय व्यवस्था को पोषित किया वे पूंजीवादी-सामंती सरमायेदार विगत ६ ५ वर्षों से देश की सत्ता पर कभी कांग्रेस, कभी जनता पार्टी, कभी भाजपा, कभी गठबंधन और कभी एनडीए-यूपीए के नाम से काबिज रहे है.