सड़कों में संक्रामी मोड़ का सामान्य रूप सर्पिल होता है।
3.
चूहे के काटने से होने वाले बुखार (संक्रामी कामला) से भी पीलिया हो सकता है.
4.
संक्रामी व्यक्ति से अन्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में संक्रमण भिन्न-भिन्न प्रकार से होता है।
5.
यकृत शोथ के अंतर्गत जो अनेक विक्षोभ (upsets) आते हैं, उनमें संक्रामी यकृत शोथ का उल्लेख करना आवश्यक है।
6.
इनकी लार्वा अवस्था गौ या शूकर में होती है, जिनके मांस में उपस्थित टीनिया के सिस्टीसंकल मानव संक्रामी होते हैं।
7.
इनकी लार्वा अवस्था गौ या शूकर में होती है, जिनके मांस में उपस्थित टीनिया के सिस्टीसंकल मानव संक्रामी होते हैं।
8.
संक्रामी मोंड़ द्वारा सीधे भाग और वृतीय मोड़ के बीच सरल परिवर्तन सुनिश्चित हो जाता है, जिससे सड़क के प्रयोक्ताओं को दिशा परिवर्तन में असुविधा की अनुभूति नहीं होती।
9.
नासिका से वायु के फेफड़े तक पहुँचाने के साथ ही वायु से जीवाणु तथा अन्य संक्रामी पदार्थों को, जो नासिका की श्लेष्माकला द्वारा नहीं रोके जा सकते, श्वासनली रोकती है।
10.
उपर्युक्त दो प्रकार के कोथ के अतिरिक्त और प्रकार के भी कोथ होते हैं, जैसे, अंत: शाल्यिक कोथ (Embolic Gangrene), संक्रामी कोथ (Infective Gangrene), वातिकोथ (Gas Gangrene), मधुमेह जनित कोथ (Diabtic Gangrene), वार्धक्य कोथ (Senile Gangrene) तथा रेनों का रोग (Renauds Diseases)।