| 1. | इसके साथ ण तो प्रत्यय की हैसियत से है जिससे रावण संज्ञारूप में शब्द बना।
|
| 2. | निश्चित ही ‘भरवसा ' और ‘भरवसो' का विकास किसी काल में ‘भारवश्य' जैसे संज्ञारूप से हुआ होगा ।
|
| 3. | पर भारतीय गणित में प्रकृत प्रभाव से संज्ञारूप में ‘ गच्छः ' का प्रयोग पर्याप्त उपलब्ध है।
|
| 4. | वे संज्ञाएं हैं जो एकवचन के लिए संज्ञारूप प्रस्तुत करने के बावजूद, एक व्यक्तिक या तत्व से अधिक समूहों को संदर्भित करते हैं.
|
| 5. | निश्चित ही ‘ भरवसा ' और ‘ भरवसो ' का विकास किसी काल में ‘ भारवश्य ' जैसे संज्ञारूप से हुआ होगा ।
|
| 6. | उदाहरण के लिए, जिन संज्ञा पदबंधों के वे विषय हैं एकवचन के लिए संज्ञारूप की प्रस्तुति के बावजूद,विधेय के कर्ता के रूप में काम कर सकते हैं.
|
| 7. | बल्कि ज्यादातर लोग अकेले मे भी उन मूलभूत तत्वों को संज्ञारूप मे नहीं पुकारते, हां जब गाली देना हो तो भले ही कहें-तेरी......., वगैरह ।
|