| 1. | कहानी: संझा-किरन सिंह--
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| 2. | ‘रोज़ संझा के नजर उतार देवा करा । '
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| 3. | मसाले बीनते-फटकते संझा होगई थी ।
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| 4. | संझा का आत्मविश्वास व साहस सराहनीय है ।
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| 5. | जो कन्याए पहली बार संझा का व्रत लेकर।
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| 6. | संझा हुई सपने जगे बाती जगी दीपक जला
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| 7. | पॉश कॉलोनियों से संझा नदारद हो गई है।
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| 8. | संझा तुरन्त उठकर ढिबरी की बत्ती चढ़ा लेती।
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| 9. | पॉश कॉलोनियों से संझा नदारद हो गई है।
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| 10. | ' ' संझा ने किवाड़ की ओट से कहा।
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