आपके संतापी शर के समान, ये शब्द कहे, ‘तुम्हारे शरीर पर सहस्र योनियां उत्पन्न हो जायें।'
2.
लेकिन जैसे की हर युग में पर दुख संतापी होते हैं राम राज्य में भी थे...
3.
लेकिन जैसे की हर युग में पर दुख संतापी होते हैं राम राज्य में भी थे...उनके पेट में बात पची नहीं....।
4.
जो कुछ हुआ था, उसे आग बरसाती आंखों से देख कर गौतम ने, हे राम! आपके संतापी शर के समान, ये शब्द कहे, ' तुम्हारे शरीर पर सहस्र योनियां उत्पन्न हो जायें।
5.
इसलिये लोग ऐसे सभी व्यक्तियों को जो संतापी थे, या तरह तरह की बीमारियों और वेदनाओं से पीड़ित थे, जिन पर दुष्टात्माएँ सवार थीं, जिन्हें मिर्गी आती थी और जो लकवे के मारे थे, उसके पास लाने लगे।