इनमें श्रमण परंपरा के कठोर संन्यासवाद की प्रेरणा का स्रोत दिखाई देता है।
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इनमें श्रमण परंपरा के कठोर संन्यासवाद की प्रेरणा का स्रोत दिखाई देता है।
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इनमें श्रमण परंपरा के कठोर संन्यासवाद की प्रेरणा का स्रोत दिखाई देता है।
4.
एक ओर एपिक्यूरस ने सुखवाद को और दूसरी ओर जीनों ने संन्यासवाद को आदर्श के रूप में सामने रखा।
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उपनिषदों के वेदांत तथा बौद्ध और जैन धर्म के संन्यासवाद के प्रभाव स भारतीय जनता में विरक्ति और निवृत्ति का प्रभाव इतना बढ़ रहा था कि समाज के लिए घातक बन जाता।
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उपनिषदों के वेदांत तथा बौद्ध और जैन धर्म के संन्यासवाद के प्रभाव स भारतीय जनता में विरक्ति और निवृत्ति का प्रभाव इतना बढ़ रहा था कि समाज के लिए घातक बन जाता।
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उपनिषदों के वेदांत तथा बौद्ध और जैन धर्म के संन्यासवाद के प्रभाव स भारतीय जनता में विरक्ति और निवृत्ति का प्रभाव इतना बढ़ रहा था कि समाज के लिए घातक बन जाता।