| 1. | अर्थात योग चित्त की वृत्तियों का संयमन है।
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| 2. | अर्थात योग चित्त की वृत्तियों का संयमन है।
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| 3. | संयमन का उपदेश हमारे ऋषि-मुनि देते आए हैं।
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| 4. | अर्थात योग चित्त की वृत्तियों का संयमन है।
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| 5. | गांधी मनुष्य के संयमन की बात कर रहे थे।
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| 6. | भावना का सचेतन और जाना-बूझा संयमन है।
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| 7. | अत: समय के संयमन का अनुपालन करें।
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| 8. | लेकिन इस निरोध अथवा संयमन के
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| 9. | काम का संयमन देवत्व की और ले जाता है....
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| 10. | लेकिन इस निरोध अथवा संयमन के अलावा भी कुछ बातें हैं।
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