इस प्रकार के लघु छंदों में संवादयुक्त लोक-कथाओं में
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एक संवाद निरन्तर चलता रहता है.. संवादयुक्त बस मौन.....
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इस अभिनय में कथोपकथन बहुत स्पष्ट रूप में नहीं होता है बल्कि सामूहिक रूप से गाये जानेवाले गीत संवादयुक्त होते हैं।
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इस अभिनय में कथोपकथन बहुत स्पष्ट रूप में नहीं होता है बल्कि सामूहिक रूप से गाये जानेवाले गीत संवादयुक्त होते हैं।
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इस प्रकार के लघु छंदों में संवादयुक्त लोक-कथाओं में पुड़की की कथा, बंदर और सियार, बरसो राम धाड़ाके से, गोग्गो रानी, मटके की कहानी, मैना और चना की कहानी, कौआ और चिड़ी के बच्चे की कहानी विशेष उल्लेखनीय हैं।