--उ 0 प्र 0 राज्य सीमेंट निगम लि 0 के छंटनीशुदा कार्मिकों को मा 0 उच्चतम न्यायालय के आदेशों / संवीक्षण के अनुक्रम में सुविधायें प्रदान करने का निर्णय
2.
अतः निगरानी में बल प्रतीत होता है और निगरानी स्वीकार होने योग्य है और सम्पूर्ण प्रकरण अवर न्यायालय को निर्णय में दिये गये संवीक्षण के प्रकाश में पुनः उचित आदेश पारित करने हेतु वापिस किये जाने योग्य है।
3.
सम्पूर्ण प्रकरण अवर न्यायालय को इस निर्देश के साथ वापिस किया जाता है कि विद्वान अवर न्यायालय पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य का मूल्यांकन करते हुये निर्णय में दिये गये संवीक्षण के प्रकाश में पुनः उचित आदेश पारित करे।
4.
यदि न्यायपलिका अपने ऊपर से जन संवीक्षण एवं जिम्मेदारी को हटा लेती है तथा समाज से अपना सम्बन्ध विच्छेद कर लेती है तो जिसे सर्वप्रथम पूर्ण करने के लिए इसे स्थापित किया गया था इसका अभिप्राय यह होगा कि भारतीय लोकतन्त्र का दूसरा स्तम्भ धराषायी हो जायेगा।
5.
जहां तक प्रश्नगत आदेश का प्रश्न है, दोनो पक्षों को यह स्वीकार है कि अपीलान्ट संजय एवं श्रीमती ललिता आपस में पति-पत्नी हैं और विद्वान अवर न्यायालय के द्वारा प्रश्नगत आदेश में यह संवीक्षण दिया गया है कि न्यायालय प्रथम दृश्टया सन्तुश्ट है कि संजय द्वारा घरेलू हिंसा कारित की गयी है और श्रीमती ललिता के साझा गृहस्थी में रहने में अवरोध उत्पन्न किया गया है।