बसपा सरकार की संवेदनाशून्यता के कारण हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हंै।
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बेटे का माँ को मृत्यु के मुँह में छोड़ जाना उसकी संवेदनाशून्यता का परिचायक है।
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पिछले कुछ दशक में अचानक आए ये बदलाव सामाजिक मूल्यों के ह्रास, समरसता में कमी और संवेदनाशून्यता को अभिव्यक्त करते ही हैं, हमारी खुदगर्जी और संकीर्णताओं को भी अच्छी तरह प्रकट करते हैं।