हमने बताया कि हम लोग मूलतः संश्लेषिक रसायन पर कार्य …
2.
प्राकृतिक प्रकाश संश्लेषिक राल, रोगन, असली का उबाला तेल, वार्निश (
3.
हमने बताया कि हम लोग मूलतः संश्लेषिक रसायन पर कार्य करते हैं, वे थोडा़ आगे बढीं, देखा
4.
रासायन शास्त्री इन सिद्धांतों को फिर संश्लेषिक पदार्थों को बनाने में करने लगे, जैसे कि और ।
5.
रासायन शास्त्री इन सिद्धांतों को फिर संश्लेषिक पदार्थों को बनाने में करने लगे, जैसे कि मिसैल और सूक्ष्म-इमल्शन।
6.
आधूनिक संश्लेषिक रासायनशास्त्र आज वहाँ तक पहुँच चुका है कि चोटे अणुओं से बडे ढाँचें की संरचना की जा सकती है।
7.
इनका कपड़े पर चिपकाने के लिए कुछ आर्सजकों का उपयोग किया जाता है, जैसे लिथाफोन (Lithophone), प्राकृतिक प्रकाश संश्लेषिक राल, रोगन, असली का उबाला तेल, वार्निश (Lacquer) आदि।
8.
संश्लेषिक फ़िज़ियॉलोजी में हम यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि किस प्रकार संघटनशील प्रक्रमों से शरीर की क्रियाएँ संश्लेषित होकर, विभिन्न भागों की सहकारी प्रक्रियाओं का निर्माण करती हैं और किस प्रकार जीव समष्टि रूप में अपने भिन्न भिन्न अंगों को सम्यक् रूप से समंजित करके, बाह्य परिस्थिति के परिवर्तन पर प्रतिक्रिया करता है।
9.
संश्लेषिक फ़िज़ियॉलोजी में हम यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि किस प्रकार संघटनशील प्रक्रमों से शरीर की क्रियाएँ संश्लेषित होकर, विभिन्न भागों की सहकारी प्रक्रियाओं का निर्माण करती हैं और किस प्रकार जीव समष्टि रूप में अपने भिन्न भिन्न अंगों को सम्यक् रूप से समंजित करके, बाह्य परिस्थिति के परिवर्तन पर प्रतिक्रिया करता है।