उ० दलित और अदलित जैसा विभाजन रचना कार और साहित्य दोनों के लिए खतरनाक है साहित्य का अर्थ ही होता है सब के साथ सामरस्य वहाँ एकत्व, विश्व्त्व एवं सनातनत्व की भावना प्रबल होती है वहाँ कोई भेद भाव नही होता वहाँ रागद्वेष की भवना उत्पन्न नही होती जब हम अखंड से खंड को कट कर कहीं खड़ा कर देते हैं बगीचा से फूल तोड़ कर ड्राइंग रूम में सजा देने से पूरा बगीचा उपस्थित नही होता
4.
‘आप धर्म पर नहीं, सनातन धर्म पर बोलिए कि आपके धर्म में सनातनत्व कैसा है?' राधाकृष्णन ने कहा, ‘अमरीका, यूरोप, जापान के लोग बतलाएं, मिस्र और रोम के लोग बतलाएं कि क्या आपके यहां सौ साल पुरानी कोई ऐसी चीज है, जिसे आप आज भी चला रहे हों?' उन्हें जवाब मिला, ‘नहीं है।' तो राधाकृष्णन ने जवाब दिया, ‘सनातनत्व यह है कि हमारे यहां राम जी की शादी जैसे और जिस विधिविधान से हुई थी, आज भी उसी तरह से हमारे यहां रिक्शा चलाने वाले की भी शादी होती है।'