इसलिए मनुष्य को ' समतापी जीव' कहते हैं. दैहिक ताप एकस्थिर स्तर तथा पर्यावरण से स्वतंत्र रहता है.
4.
जंतु दो प्रकार के होते हैं: प्रथम समतापी (homeothermic), अर्थात् वे जिनके शरीर का ताप लगभग एक सा बना रहता हे।
5.
केंद्र के तापमान पर एक समतापी परत की कल्पना करते हुए केंद्र के दबाव को समुद्र तल तक कम किया हुआ, दबाव है.
6.
केंद्र के तापमान पर एक समतापी परत की कल्पना करते हुए केंद्र के दबाव को समुद्र तल तक कम किया हुआ, दबाव है.
7.
समतापी संपीड़न. संपीड़क के स्थान एवं संबद्ध उष्मीय केन्द्र को लगातार एक न्यूनतम तापमान में रखा जाता है ताकि गैस शीतल हौज़ में स्थानांतरित होकर समतापी फैलाव के समीप पहुंचे.
8.
समतापी संपीड़न. संपीड़क के स्थान एवं संबद्ध उष्मीय केन्द्र को लगातार एक न्यूनतम तापमान में रखा जाता है ताकि गैस शीतल हौज़ में स्थानांतरित होकर समतापी फैलाव के समीप पहुंचे.
9.
समतापी फैलाव. फैलाव का क्षेत्र एवं संबद्ध उष्मीय केन्द्र को नियत अधिकतम तापमान पर बनाये रखा जाता है, और गैस गरम साधन से उष्णता ग्रहण कर समतापी फैलाव के समीप पहुंच जाती है.
10.
समतापी फैलाव. फैलाव का क्षेत्र एवं संबद्ध उष्मीय केन्द्र को नियत अधिकतम तापमान पर बनाये रखा जाता है, और गैस गरम साधन से उष्णता ग्रहण कर समतापी फैलाव के समीप पहुंच जाती है.