समरुचि या समस्वभाव वाले लोगों के लिये ये समूह खुले रहते हैं.
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पुस्तकालय में बैठकर पुस्तकें पढते हुए भी आपको कई समरुचि वाले व्यक्ति मिल जायेंगे।
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आईएमसी द्वारा इस मुद्दे पर निकट भविष्य में संबंधित संगठनों और समरुचि के लोगों के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया जाएगा।
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आईएमसी द्वारा इस मुद्दे पर निकट भविष्य में संबंधित संगठनों और समरुचि के लोगों के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन किया जाएगा।
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मामला बस इतना होता है कि समरुचि, समप्रतिभा, समख्यालात् ग्रुप्स का निर्माण करते हैं पर कई बार ग्रुप्स का बिखराव हो जाता है कई समानताओं के बावजूद भी और नवीन ग्रुप्स ईजाद हो जाते हैं...