इस तरह ऐसी समूह-चिकित्सा मेंसम्मिलित होनेवाले स्त्री-पुरुष यौन-वर्जनाओं से मुक्त होकर, प्राकृतिकरूप में, एक दूसरे को समझ पाते हैं उनके संपर्क में जाकर उनका अधिकतमस्पर्श पाकर, अपने अन्दर किसी तरह पाप की, अपराध की भावना का बोध नहींकरते और उनका व्यक्तित्व, उनका मन हर वर्जना से ऊपर उठ जाता है, पूरी तरहमुक्त हो जाता है.