So vast and varied is the mind of man , so many its hungers and so diverse its claims that it must now and again swerve and reel and toss . मनुष्य का मस्तिष्क इतना विशाल और बहुविध है , जिसमें एक ओर ढेर सारी लालसाएं हैं तो दूसरी ओर ढेर सारे दावे पूरे करने को होते हैं कि इसे अनिवार्यतया से कभी अपने को मोड़ना पड़ता है , कभी पीछे समेटना पड़ता है और कभी टकराना पड़ता है .
परिभाषा
समेटने या बटोरने की क्रिया:"व्यापारी जीवन भर समृद्धि के अवकुंचन में लगा रहता है" पर्याय: अवकुंचन, अवकुञ्चन, समेट, बटोरना,
कपड़े, काग़ज़ आदि को तह करके या लपेट कर रखना:"वह कपड़ों को अच्छे से समेट रही है"