पत्ते उतर जाते हैं फिर भारी बरफ के भीतर जमकर दफ्न होते हैं सम्मूर्छित निष्क्रिय समय बीतता है गुजरता है और बीता हुआ समय फिर अनुकूल होता है कोंपल फूटते हैं फूल लगते हैं इतिहास फिर खुद को दोहराता है….... यह भावुकता का विषय नहीं तथ्य है.... कि इस बीच जीवन गुजर जाता है....
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पत्ते उतर जाते हैं फिर भारी बरफ के भीतर जमकर दफ्न होते हैं सम्मूर्छित निष्क्रिय समय बीतता है गुजरता है और बीता हुआ समय फिर अनुकूल होता है कोंपल फूटते हैं फूल लगते हैं इतिहास फिर खुद को दोहराता है….... यह भावुकता का विषय नहीं तथ्य है.... कि इस बीच जीवन गुजर जाता है....