उन्होंने चुप साधी है, तो मैं क्या बोलूँ? बस इतना कह दूँगी कि बहुत अच्छी हूँ और आपके कुशल की कामना रखती हूँ! फिर मुख न खोलूँगी! और मैं यह मैली-कुचैली साड़ी क्यों पहिने हूँ? जो अपना सहवेदी न हो उसके आगे यह वेश बनाये रखने से लाभ? वह अतिथि की भॉँति आये हैं।
2.
उन्होंने चुप साधी है, तो मैं क्या बोलूँ? बस इतना कह दूँगी कि बहुत अच्छी हूँ और आपके कुशल की कामना रखती हूँ! फिर मुख न खोलूँगी! और मैं यह मैली-कुचैली साड़ी क्यों पहिने हूँ? जो अपना सहवेदी न हो उसके आगे यह वेश बनाये रखने से लाभ? वह अतिथि की भॉँति आये हैं।