समाज के आरोग्य-दायक शौचधर्म रसातल में पहुंच जाते हैं, सांसर्गिक
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संक्रामक, सांसर्गिक अथवा घृणित रोग से ग्रस्त मनुष्यों द्वारा खाद्य पदार्थ का बनाना या बेचना वर्जित है।
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बम्बई में उनके एक रोगी को सांसर्गिक ज्वर आ रहा था, जिसका तापक्रम कम होने का कोई चिन्ह दिखाई न देने के कारण उन्हें ऐसा लग रहा था कि कहीं शिरडी की यात्रा स्थगित न करनी पड़े ।
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बम्बई में उनके एक रोगी को सांसर्गिक ज्वर आ रहा था, जिसका तापक्रम कम होने का कोई चिन्ह दिखाई न देने के कारण उन्हें ऐसा लग रहा था कि कहीं शिरडी की यात्रा स्थगित न करनी पड़े ।
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उनके अनुसार-‘‘ जिस समाज में कनिष्ठ संस्कृति के व्यक्तियांे की संख्या श्रेष्ठ व्यक्तियों की संख्या से बेहिसाब अधिक होती है, उस समाज के आरोग्य-दायक शौचधर्म रसातल में पहुंच जाते हैं, सांसर्गिक रोगों का प्रादुर्भाव होता है, उपदंशादि आदि व्याधियों से ग्रस्त निम्न श्रेणी की सन्तति बिलबिलाती फिरती है, अराजकता का साम्राज्य फैल जाता है और सदाचार-संपन्नता तथा विद्याओं का लोप हो जाता है.
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लेना चाहिए | कथिक, वाचिक, मानसिक, सांसर्गिक पापोंसे मुक्ति के लिए गोदावरी इस पवित्र जल से मन और आत्मा की शुद्धि होगी | और पुरोहित द्वारा शारीर मन और आत्मा शुद्धि के लिए न्यास होंगे | तत्पशचात भगवान आशुतोष कपालेश्वर को आभिषेक और पूजा करके उनका दर्शन लेके श्री कालाराम मंदिर में भी अभिषेक और अर्चना करनी चाहिए | श्रीराम यह देवता दू: खो का अंत करने वाली विष्णुस्वरूप देवता है | जिनके पास अपनी मनोकामना बोलनी चाहिये | क्योकी विष्णु के पास ही लक्ष्मी का वस् होता है |