वैसे नीरज को आज कल ज्यादा समय नहीं मिलता मगर इस बात में सुकान अपने हाथ में ले लिया।
5.
(2) स्व. परमपूज्यपुष्पाबहनकीभतीजी, परमपूज्य श्रीमति अरुणाबहनने भी 1945 से विकास विद्यालय का सुकान संभालकर जीवन के आखिरी सांस तक अविरत सेवा की ।
6.
राग जदुर में उनका एक गीत है...मैंने तुम्हें बचपन में देखा था/तुम सुकान पहाड़ की तरह ऊंची हो गई/ मैंने तुम्हें छुटपन में देखा था/ तुम बुंडू बांध की तरह गहरी हो गई...।