| 1. | स्पर्शन प्ररूपणा में १ ८ ५ सूत्र हैं।
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| 2. | रोगिणम् ' ' इस सूत्रकथित स्पर्शन से नाड़ी का भी संकेत
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| 3. | स्पर्शन, रसना, घ्राण और चक्षु वाले तथा
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| 4. | इन आठों स्पर्शों का ज्ञान स्पर्शन इन्द्रिय से होता है।
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| 5. | स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु और श्रोत्रइन्द्रिय वाले।
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| 6. | स्पर्शन, रसना और घ्राणवाले,
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| 7. | स्पर्शन प्ररूपणा में १८५ सूत्र हैं।
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| 8. | वायु, समीर, हवा, अनिल, समीरण, स्पर्शन
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| 9. | विभिन्न दृष्टियों से जीवों के स्पर्शन क्षेत्र का निर्देश किया गया है।
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| 10. | विभिन्न दृष्टियों से जीवों के स्पर्शन क्षेत्र का निर्देश किया गया है।
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