अभिव्यक्ति दी है, वैसी स्पर्शातीत और ईथरीय भावग्राहिता कोमल से कोमल
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अपने एक-एक लघुत्तम और सर्वथा उपेक्षित मानवेतर पात्र की सूक्ष्म से संवेदना को प्रकृति-माता के जिस अति-संवेदनशील राडार की तरह पकड़कर जो मर्ममोहक अभिव्यक्ति दी है, वैसी स्पर्शातीत और ईथरीय भावग्राहिता कोमल से कोमल अनुभूति वाले कवियों में भी अधिक सुलभ नहीं है, पंचतंत्र के पशु-पात्रों की तो बात ही क्या है।