' ' हमारे मनीषियों ने स्वीकार किया है कि मिथ्या या माया जगत् की सत्यता से स्वप्न-जगत् की सत्यता अधिकतर है।
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स्वप्न-जगत् की अपेक्षा जीवन-जगत् की सत्यता अधिक है और जीवन-जगत् की अपेक्षा आत्मा, ईश्वर या अद्वैत के जगत् की सत्यता अधिक है, जो अन्ततोगत्वा परस्पर एक समान हैं।