सर्वोच्च स्वार्थत्याग और सर्वांगपूर्ण सात्विक चरित्रा का अलौकिक तेज
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चाणक्य याने स्वार्थत्याग, निर्भीकता, साहस एवं विद्वत्ता की साक्षात् मूरत!
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उनकी धर्मबलि तथा स्वार्थत्याग, ये दोनों अन्त तक न्यूनाधिक रूप में
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चाणक्य याने स्वार्थत्याग, निर्भीकता, साहस एवं विद्वत्ता की साक्षात् मूरत!
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चाणक्य याने स्वार्थत्याग, निर्भीकता, साहस एवं विद्वत्ता की साक्षात् मूरत!
7.
उनकी धर्मबलि तथा स्वार्थत्याग, ये दोनों अन्त तक न्यूनाधिक रूप में बने ही रहेंगे।
8.
वह रोज की अपने पति और बच्चों के लिये त्याग करती हैऔर व्यापक रूप से देखा जाये तो स्त्रियां पुरुषों के लिये नि: स्वार्थत्याग करती ही आई हैं।
9.
दोनों के सुख, विकास और पूर्णता के लिए आवश्यक सेवा, सहयोग, प्रेम और स्वार्थत्याग के अनेक गुणों की शिक्षा वैवाहिक जीवन से मिलती है।
10.
भारतीयों के साथ व्यवहार में अन्याय असत्य धर्मभ्रष्टता का उन्होंने अवलम्बन किया परन्तु अपनी समष्टि की सीमा में वे सत्य न्याय स्वार्थत्याग आदि धर्मतत्वों का कट्टरता से पालन करते थे।