साहित्य के नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गए हेरॉल्ड पिंटर ने 2005 के अपने स्वीकृति-भाषण में कहा था-‘ लेखक की ज़िंदगी अत्यंत खतरनाक होती है, लगभग नंगी प्रक्रिया. इसके लिये हमें रोने की ज़रुरत नहीं.
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यह बताया गया कि ख़ान का अपने स्वीकृति-भाषण में अपनी टीम और अपने देश का उल्लेख ना करने के निर्णय और उनके बजाय खुद पर और अपने आगामी कैंसर अस्पताल पर केंद्रित ध्यान ने कई नागरिकों को “नाराज़ और शर्मिंदा” किया. “इमरान के 'मैं' 'मुझे' और 'मेरा' भाषण ने हर किसी को दुखी किया,” डेली नेशन अख़बार के एक संपादकीय में लिखा था, जिसने स्वीकृति भाषण को एक “कर्कश स्वर” का तमगा दिया.
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यह बताया गया कि ख़ान का अपने स्वीकृति-भाषण में अपनी टीम और अपने देश का उल्लेख ना करने के निर्णय और उनके बजाय खुद पर और अपने आगामी कैंसर अस्पताल पर केंद्रित ध्यान ने कई नागरिकों को “ नाराज़ और शर्मिंदा ” किया. “ इमरान के ' मैं ' ' मुझे ' और ' मेरा ' भाषण ने हर किसी को दुखी किया, ” डेली नेशन अख़बार के एक संपादकीय में लिखा था, जिसने स्वीकृति भाषण को एक “ कर्कश स्वर ” का तमगा दिया.