संपत्ति पर स्पष्ट और विपणन योग्य हकनामा होना चाहिए।
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संपत्ति पर स्पष्ट और विपणन योग् य हकनामा होना चाहिए।
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आज हकनामा की एक पोस्ट http: //haqnama.blogspot.com/2010/05/in-name-of-allah-most-gracious-most.html पर दिया कमेंट्स आपकी नज़र है
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हकनामा की बाबरी मस्जिद से संबंधित पोस्ट पर चल रही बहस पढ़ कर मन मे एक सवाल उठा वह मैं ब्लाग जगत के सभी बुद्धिजीवियों के सामने रख रहा हूँ ।
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@ पी. सी. गोदियाल जी! आपने हकनामा ब्लॉग पर दूसरे ब्लोगर्स के कमेंट्स को उलटी दस्त की उपमा दी है जोकि सरासर अनुचित है और आपके अहंकार का प्रतीक भी ।
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ख़ाली-पीली अहंकार क्यों? आदरणीय भाई पी. सी. गोदियाल जी ने हकनामा ब्लॉग पर दूसरे ब्लोगर्स के कमेंट्स को उलटी दस्त की उपमा दी है जोकि सरासर अनुचित है और अहंकार का प्रतीक भी ।
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अब हकनामा के उस लेख और उस पर मौजूद ब्लोगरों, पाठकों की टिप्प्णियों के बारे मे सिर्फ़ इतना कहुंगा कि दूसरे पर आरोप लगाना बहुत आसान काम है मगर क्या आप लोगो ने मेरी उस बात पर मनन किया जिस्का जिक्र मैंने अपनी टिप्पणी मे किया? एक साधारण सा सवाल जरा इमानदारी से उत्तर ढूढियेगा ; कोइ एक वाक्या इन पिछले ६ ० सालों का बतायिये जिसमे अकारण ही आर एस एस ने मुस्लमानो के खिलाफ़ बोली हो?