Rabindranath pictures her as arising out of the foam of the primal ocean when it was churned by the godsnaked and flawless beauty , holding nectar in her right hand and poison in her left . रवीन्द्रनाथ उसका चित्र कुछ इस प्रकार उकेरते हैं- देवताओं द्वारा समुद्र मंथन के उपरांत आदि सागर की फेनिल लहरों से वह दिक्भूषणा अनन्य सुंदरी अवतीर्ण हो रही है- अपने दाहिने हाथ में अमृत कलश और बाएं हाथ में हलाहल लिए .
परिभाषा
वह प्रचंड विष जो समुद्रमन्थन के समय समुद्र से निकला था:"भगवान शंकर विश्व कल्याण हेतु हलाहल को पी गए" पर्याय: कालकूट, हलाहल_विष, सिंधुविष, सिन्धुविष,
वह विष जो घातक हो या बहुत ही तेज़ हो:"उग्र विष खा लेने के कारण चिकित्सक भी उसे नहीं बचा सके" पर्याय: उग्र_विष, भारी_ज़हर, भारी_जहर,