सांस्कृतिक भौगोलिक और सामजिक तत्वों के संक्रमण से अकादमियो की बचाने की कवायद ज्ञान के उपवन को बासीपन से बोझिल करेगी और उसके प्रासंगिकता का हस्वीकरण भी …सत्ता के इन प्रयत्नों के निहितार्थ भी स्पष्ट है …प्रस्तुत आलेख इसी प्रयत्नों की मुखालफत में मुखर होता सा है ….