हाइड्रोक्विनोन, गोरेपन की दवाइयों में पाया वाला एक अत्याधिक हानिकारक रसायन है ।
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इस वर्ग के सभी यौगिक रंगीन हैं, पर अपचयन पर रंगहीन हाइड्रोक्विनोन देते हैं।
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इस वर्ग के सभी यौगिक रंगीन हैं, पर अपचयन पर रंगहीन हाइड्रोक्विनोन देते हैं।
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डॉक्टरों को यह भी शक है कि हाइड्रोक्विनोन से लिवर और थायरॉयड ग्रंथि पर विपरीत प्रभाव पड़ता है ।
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शरीर में अधिक मात्रा में हाइड्रोक्विनोन प्रवेश करने पर मितली, सांस में रूकावट और सन्निपात जैसे लक्षण उभर सकते हैंै ।
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कई देशो ने गोरेपन की ऐसी दवाइयों पर प्रतिबंध लगा दिया है जिनमें हाइड्रोक्विनोन और पारे का उपयोग किया जाता है ।
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बॉम्बॉर्डियर बीटल की रक्षा के लिये उपलब्ध दो मुख्य रसायनों में से एक हाइड्रोजन परॉक्साइड है, जो शिकारियों को परे रखने के लिये हाइड्रोक्विनोन से प्रतिक्रिया करता है.
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बॉम्बॉर्डियर बीटल की रक्षा के लिये उपलब्ध दो मुख्य रसायनों में से एक हाइड्रोजन परॉक्साइड है, जो शिकारियों को परे रखने के लिये हाइड्रोक्विनोन से प्रतिक्रिया करता है.
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अलबत्ता, यह साबित हो चुका है कि हाइड्रोक्विनोन के उपयोग से ओक्रोनोसिस नामक रोग हो जाता है जिसमें त्वचा पर काले और मोटे चकत्ते बन जाते हैं ।
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इसी तरह इनमें “ हाइड्रोक्विनोन ” की मात्रा भी काफ़ी पाई गई, जो कि त्वचा को ब्लीच कर देता है, जिससे तात्कालिक रूप से व्यक्ति को “