कवि के विचार में हीनमन्यता को प्रश्रय देना अपनी दुर्वलता है एवं वास्तव जीवन में सदा ऊँची भावना का पोषण करना चाहिये ।
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‘मेरे मन में अपनी आर्थिक-सामाजिक पृष्ठभूमि का ख्याल हर वक्त रहता है, पर सहपाठी, मित्रों, और शिक्षकों ने किसी भी तरह की हीनमन्यता को मेरे अंदर घर नहीं करने दिया।
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समाजशास्त्र में एमए कर रहे राजस्थान के बाबूलाल भील बताते हैं: ‘ मेरे मन में अपनी आर्थिक-सामाजिक पृष्ठभूमि का ख्याल हर वक्त रहता है, पर सहपाठी, मित्रों, और शिक्षकों ने किसी भी तरह की हीनमन्यता को मेरे अंदर घर नहीं करने दिया।