हैश्यूर की तरह ही पर्वतीय छायाविधि में ढालक्रम का ठीक ज्ञान नहीं हो पाता, परंतु इसमें बिंदुओ की सहायता ली जाती है, अत: यह अपेक्षाकृत सुविधाजनक होता है और कम समय में तैयार हो जाता है।
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हैश्यूर की तरह ही पर्वतीय छायाविधि में ढालक्रम का ठीक ज्ञान नहीं हो पाता, परंतु इसमें बिंदुओ की सहायता ली जाती है, अत: यह अपेक्षाकृत सुविधाजनक होता है और कम समय में तैयार हो जाता है।
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हैश्यूर की तरह ही पर्वतीय छायाविधि में ढालक्रम का ठीक ज्ञान नहीं हो पाता, परंतु इसमें बिंदुओ की सहायता ली जाती है, अत: यह अपेक्षाकृत सुविधाजनक होता है और कम समय में तैयार हो जाता है।
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आजकल भू-आकृति को दिखलाने के लिये कई विधियों को साथ साथ उपयोग में लाते हैं, उदाहरणस्वरूप (क) समोच्च रेखाएँ तथा हैश्यूर, (ख) समोच्च रेखाएँ, हैश्यूर तथा स्थानिक उँचाइयाँ (ग) समोच्च रेखाएँ, खंडित रेखाएँ तथा स्थानिक उँचाइयाँ, (घ) समोच्चरेखाएँ तथा पर्वतीय छाया विधि और (च) समोच्च रेखाएँ तथा स्तरवर्ण।
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आजकल भू-आकृति को दिखलाने के लिये कई विधियों को साथ साथ उपयोग में लाते हैं, उदाहरणस्वरूप (क) समोच्च रेखाएँ तथा हैश्यूर, (ख) समोच्च रेखाएँ, हैश्यूर तथा स्थानिक उँचाइयाँ (ग) समोच्च रेखाएँ, खंडित रेखाएँ तथा स्थानिक उँचाइयाँ, (घ) समोच्चरेखाएँ तथा पर्वतीय छाया विधि और (च) समोच्च रेखाएँ तथा स्तरवर्ण।
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आजकल भू-आकृति को दिखलाने के लिये कई विधियों को साथ साथ उपयोग में लाते हैं, उदाहरणस्वरूप (क) समोच्च रेखाएँ तथा हैश्यूर, (ख) समोच्च रेखाएँ, हैश्यूर तथा स्थानिक उँचाइयाँ (ग) समोच्च रेखाएँ, खंडित रेखाएँ तथा स्थानिक उँचाइयाँ, (घ) समोच्चरेखाएँ तथा पर्वतीय छाया विधि और (च) समोच्च रेखाएँ तथा स्तरवर्ण।
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आजकल भू-आकृति को दिखलाने के लिये कई विधियों को साथ साथ उपयोग में लाते हैं, उदाहरणस्वरूप (क) समोच्च रेखाएँ तथा हैश्यूर, (ख) समोच्च रेखाएँ, हैश्यूर तथा स्थानिक उँचाइयाँ (ग) समोच्च रेखाएँ, खंडित रेखाएँ तथा स्थानिक उँचाइयाँ, (घ) समोच्चरेखाएँ तथा पर्वतीय छाया विधि और (च) समोच्च रेखाएँ तथा स्तरवर्ण।