ॠतु-चक्र बड़ी सहजता से माँ ने बताया वत्स-मैं पतझड़, तू है वसंत, अतिशीघ्र ही तू होगा पतझड़, और तेरा अंश-होगा वसंत ॥
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ॠतु-चक्र बड़ी सहजता से माँ ने बताया वत्स-मैं पतझड़, तू है वसंत, अतिशीघ्र ही तू होगा पतझड़, और तेरा अंश-होगा वसंत ॥ नियति विधी का सरौता, करे फाँक-फाँक चाहे-अनचाहे, छिटक-छिटक जाता हूँ लाल सुर्ख होठों से काल फिर चबाता है कुछ निगलता जाता है, बाकी थूक देता है॥ सीख बेकारगी के मारे दिल छोटा क्यूँ करे है करना है कुछ जो छोटा तू जेब छोटी कर ले ।।