| 1. | जब अनभिव्यक्ति मन को तृषित करने लगे तो चीखने का मन करता है, हर उस सलीब के लिये जिसने अभिव्यक्ति का दम घोंटा।
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| 2. | यहाँ एक प्रश्न यह भी उठता है कि क्या ब्लॉग लेखन ज़रूरी है सबके लिए? अभिव्यक्ति के साथ अनभिव्यक्ति भी बहुत ज़रूरी है ।
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| 3. | यहाँ एक प्रश्न यह भी उठता है कि क्या ब्लॉग लेखन ज़रूरी है सबके लिए? अभिव्यक्ति के साथ अनभिव्यक्ति भी बहुत ज़रूरी है ।
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| 4. | ->>>यहाँ एक प्रश्न यह भी उठता है कि क्या ब्लॉग लेखन ज़रूरी है सबके लिए? अभिव्यक्ति के साथ अनभिव्यक्ति भी बहुत ज़रूरी है ।
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| 5. | मैं यह भी देखता हूँ कि मेरी एकान्तिक कल्पना और अनभिव्यक्ति के अन्तराल में कई चेहरे अचानक सामने आ जाते हैं, फ़िर अपने आप को नष्ट करते रहते हैं ।
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