अवहित्था में अनभीष्ट कार्य की ओर प्रवृत्ति दिखाना,
2.
उदाहरणतः सोभा (तत्सम शोभा) में तो सकार का प्रयोग है, परन्तु शंकर में नहीं क्यूँकि रामभद्राचार्य के अनुसार यहाँ सकार कर देने से वर्णसंकर के अनभीष्ट अर्थ वाला संकर पद बन जाएगा।
3.
उदाहरणतः सोभा (तत्सम शोभा) में तो सकार का प्रयोग है, परन्तु शंकर में नहीं क्यूँकि रामभद्राचार्य के अनुसार यहाँ सकार कर देने से वर्णसंकर के अनभीष्ट अर्थ वाला संकर पद बन जाएगा।
4.
उदाहरणतः सोभा (तत्सम शोभा) में तो सकार का प्रयोग है, परन्तु शंकर में नहीं क्यूँकि रामभद्राचार्य के अनुसार यहाँ सकार कर देने से वर्णसंकर के अनभीष्ट अर्थ वाला संकर पद बन जाएगा।
5.
अनभीष्ट पदार्थ की प्राप्ति कराने वाले कार्य में जो संलग्नता है, वह उन्मत्त की चेष्टा है, उससे कोई भी शुभ फल प्राप्त नहीं होता, अशुभ (नरकपात आदि) फल ही प्राप्त होता है।