रात में जब तुम कुत्ते गला फाड़-फाड़कर चिल्लाते रहते हो, हम चुपचाप अपना अन्न-भंडार भरने में जुटे रहते हैं.
4.
‘ काश! मैं तुम्हें अपने बिल तक ले जा सकता! हालांकि मेरी मां को यह कभी पसंद नहीं करती कि कोई बाहर का प्राणी हमारे अन्न-भंडार तक जा ए. '
5.
-जमशेदपुर: कल-कल करते हुए सबको शुद्ध और पवित्र करने वाली तथा प्यास बुझाते हुए भूमि को सींच कर अन्न-भंडार देने वाली स्वर्णरेखा नदी आज स्वयं प्रदूषित होकर शुद्धिकरण की बाट जोह रही है।