वे कोमल मृदुल भाव मेरे हृदय और आँखों को सदा ही नम करते रहेंगे, अप्रेषित और रुद्ध।
3.
वे कोमल मृदुल भाव मेरे हृदय और आँखों को सदा ही नम करते रहेंगे, अप्रेषित और रुद्ध।
4.
फिर भी मैंने बोलने का निश्चय किया, क्योंकि आज भी यदि मैं नहीं बोलता तो यह अन्तिम अवसर भी खो देता और वे सारे भाव मेरे हृदय और आँखों को सदा ही नम करते रहते, अप्रेषित और रुद्ध।
5.
फिर भी मैंने बोलने का निश्चय किया, क्योंकि आज भी यदि मैं नहीं बोलता तो यह अन्तिम अवसर भी खो देता और वे सारे भाव मेरे हृदय और आँखों को सदा ही नम करते रहते, अप्रेषित और रुद्ध।