जल-जंगल-जमीन पर हम आदिवासिओं के अविनिमेय अधिकार को वे नही जानते या जानना नही चाहते।
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समता जजमेंट मूलत: पांचवी अनुसूची की ही व्याख्या है, जिसके अनुसार प्राकृतिक संसाधनों पर आदिवासिओं का अविनिमेय अधिकार है, और आदिवासियों की जमीन कोई भी गैर आदिवासी किसी भी प्रयोजन के लिए नहीं ले सकता है, यहाँ तक की सरकार भी आदिवासियों की जमीन नहीं ले सकती है।
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छतीसगढ़ का एक उदहारण लिया जाए तो हम पाएंगे कि नदियाँ जो आदिवासियों के लिए पानी का श्रोत एवं उनके जीविकोपार्जन का माध्यम भी है को छतीसगढ़ सरकार ने नीजि कंपनियों को बेच दिया है, जिस पर उनका सदियों से अविनिमेय अधिकार प्रकृति ने दिया है आज उन्हें भौतिक दुनिया के डकैत उनसे लूटने के कानून बनाकर लूट रहे हैं.